Salient Features of Shri Mataji’s Words on Mahatma Gandhi
Shri Mataji Nirmala Devi shared profound insights about Mahatma Gandhi based on her personal experiences with him. The key points she highlighted include:
1. Personal Bond with Gandhi Ji
- At the age of seven, Shri Mataji was taken under Mahatma Gandhi’s care and stayed very close to him.
- He affectionately called her “Nepali,” a name by which everyone around him knew her.
2. Gandhiji as a Hard Taskmaster and Compassionate Leader
- He was extremely disciplined and expected the same from others.
- He made everyone wake up at 4 AM, clean temples, and even clean bathrooms and lavatories themselves.
- Despite being strict, he was deeply loving and compassionate.
- He valued wisdom in children and often discussed serious matters with Shri Mataji, treating her as someone beyond her years.
3. Gandhiji’s Commitment to Dharma and Integrity
- He emphasized the importance of living in Dharma (righteousness) and encouraged those around him to uphold moral values.
- He set a high ethical standard, ensuring that his followers practiced what they preached.
4. Gandhiji’s Strong Ethics on Public Money
- Shri Mataji admired his deep respect for public money, something she found extraordinary.
- He was meticulous about not wasting resources, once personally weighing food before serving it to leaders during a meeting.
- He believed that public money was “the blood of my people” and should not be wasted.
5. A Life of Absolute Transparency and Purity
- There was no double standard in his life; the closer one got to him, the more respect he commanded.
- His personal discipline and ethical conduct were unwavering, setting an example for all.
6. Gandhi’s Role in Laying the Foundation for Sahaja Yoga
- Shri Mataji mentioned that Gandhi Ji’s principles, especially his economic ideas, were deeply aligned with Sahaja Yoga.
- His emphasis on self-sufficiency, moral living, and collective well-being resonated with the spiritual and holistic approach of Sahaja Yoga.
7. Gandhi’s Legacy and India’s Forgotten Gratitude
- Shri Mataji expressed that India was fortunate to have such a great soul.
- However, she lamented that people had forgotten his contributions and the sacrifices he made for the nation’s freedom.
Through these reflections, Shri Mataji emphasized that Gandhi Ji was not just a political leader but a spiritual force who shaped the moral fabric of India and left behind values that continue to guide seekers of truth.
Her Holiness Shri Mataji Nirmala Devi
Talk about Gandhi
New Delhi (India) | Sunday, March 11th, 1979
श्री माताजी द्वारा महात्मा गांधी के बारे में कहे गए प्रमुख बिंदु
श्री माताजी निर्मला देवी ने महात्मा गांधी के बारे में अपने व्यक्तिगत अनुभवों को साझा करते हुए उनके व्यक्तित्व और सिद्धांतों पर गहरी अंतर्दृष्टि दी। उनके विचारों के मुख्य बिंदु इस प्रकार हैं:
1. गांधी जी के साथ व्यक्तिगत संबंध
- जब श्री माताजी सात वर्ष की थीं, तब महात्मा गांधी ने उन्हें अपने संरक्षण में ले लिया और वे उनके बहुत करीब रहीं।
- गांधी जी उन्हें स्नेहपूर्वक “नेपाली” कहकर बुलाते थे, और सभी लोग उन्हें इसी नाम से जानते थे।
2. गांधी जी – एक कठोर लेकिन दयालु मार्गदर्शक
- वे अत्यधिक अनुशासित थे और दूसरों से भी यही अपेक्षा रखते थे।
- वे सभी को सुबह 4 बजे उठाते, मंदिरों की सफाई करवाते, और यहां तक कि शौचालयों की सफाई भी खुद से करवाते थे।
- कठोर अनुशासन के बावजूद, वे अत्यंत प्रेमपूर्ण और करुणामय व्यक्ति थे।
- वे बच्चों में भी ज्ञान देखते थे और अक्सर श्री माताजी से गंभीर विषयों पर चर्चा करते थे।
3. गांधी जी का धर्म और नैतिकता के प्रति समर्पण
- उन्होंने धर्म (सत्यनिष्ठा) को अत्यंत महत्व दिया और सभी को नैतिक मूल्यों का पालन करने के लिए प्रेरित किया।
- वे हमेशा चाहते थे कि उनके अनुयायी जो उपदेश दें, उसे स्वयं अपने जीवन में अपनाएं।
4. सार्वजनिक धन के प्रति गांधी जी की निष्ठा
- श्री माताजी ने गांधी जी की सार्वजनिक धन के प्रति ईमानदारी की गहरी प्रशंसा की।
- वे संसाधनों की फिजूलखर्ची नहीं होने देते थे और व्यक्तिगत रूप से इस पर ध्यान देते थे।
- एक बार जब कुछ बड़े नेता उनके आश्रम आए, तो गांधी जी ने खुद भोजन की मात्रा तौलकर निर्धारित की ताकि किसी भी चीज़ की बर्बादी न हो।
- उन्होंने कहा, “यह मेरे लोगों का रक्त है, इसे व्यर्थ नहीं जाने दे सकता।”
5. पारदर्शिता और शुद्धता का जीवन
- उनके जीवन में किसी भी प्रकार का दोहरापन नहीं था।
- जितना कोई उनके करीब जाता, उतना ही उनका सम्मान बढ़ता, क्योंकि वे पूरी तरह से निष्कलंक और आदर्शवादी थे।
- वे मानते थे कि नैतिकता बनाए रखना ही किसी भी सच्चे नेता का कर्तव्य है।
6. गांधी जी ने सहज योग के लिए नींव रखी
- श्री माताजी ने कहा कि गांधी जी के सिद्धांत, विशेष रूप से उनके आर्थिक विचार, सहज योग से पूर्ण रूप से मेल खाते थे।
- उन्होंने स्वावलंबन, नैतिक जीवन और सामूहिक भलाई पर जोर दिया, जो सहज योग की आध्यात्मिक और समग्र दृष्टि से जुड़ा हुआ है।
7. गांधी जी की विरासत और भारत की भुला दी गई कृतज्ञता
- श्री माताजी ने कहा कि भारत को गर्व होना चाहिए कि उसके पास इतना महान आत्मा वाला नेता था।
- लेकिन उन्होंने इस बात पर खेद भी व्यक्त किया कि लोग उनके योगदान और बलिदान को भूल गए हैं।
इन विचारों के माध्यम से श्री माताजी ने यह बताया कि गांधी जी केवल एक राजनीतिक नेता नहीं थे, बल्कि एक आध्यात्मिक शक्ति भी थे, जिन्होंने भारत के नैतिक मूल्यों को आकार दिया और ऐसे आदर्श छोड़े जो आज भी सत्य की खोज करने वालों का मार्गदर्शन करते हैं।
Shaheed Diwas: A Tribute to Mahatma Gandhi and the Martyrs of India
January 30 marks Shaheed Diwas (Martyrs’ Day), a solemn occasion to pay tribute to Mahatma Gandhi and all those who sacrificed their lives for India’s independence. On this day in 1948, the Father of the Nation was assassinated, leaving behind a legacy of nonviolence, truth, and selfless service.
Across the country, schools and institutions observe this day by observing two minutes of silence to honor the memory of this great soul. Gandhi’s innovative principles of nonviolence (Ahimsa) and noncooperation played a pivotal role in dismantling British rule and will forever be etched in the history of India’s freedom struggle.
Gandhi’s Vision: A Casteless, Equal, and Peaceful Society
Mahatma Gandhi envisioned an inclusive and casteless society, where every individual, regardless of class or creed, enjoyed equal rights and opportunities. His respect for the deprived classes, women, and all religions showcased his commitment to universal brotherhood and world peace. His thoughts continue to inspire movements for social justice, equality, and harmony in modern India.
A Crusader Against Addiction
Gandhi’s advocacy for a Nasha-Mukt Bharat (addiction-free India) remains relevant today. His campaign for a Gujarat free from alcohol and drug abuse was not just about prohibition but about moral upliftment and self-discipline. His message against alcohol and drug addiction is a guiding light for those fighting against substance abuse worldwide.
The Saint Who Walked for Freedom
Gandhi led the independence movement not as a politician, but as a saintly leader, covering the length and breadth of the country to awaken and unite the people against British rule. His commitment to nonviolence as a tool for resistance remains a model for movements advocating peace and justice globally.
Even Albert Einstein acknowledged Gandhi’s unparalleled contribution, stating:
“Generations to come will scarcely believe that such a one as this ever in flesh and blood walked upon this earth.”
Saluting All Freedom Fighters
Shaheed Diwas is not just about Mahatma Gandhi but about remembering all martyrs who laid down their lives for Bharat Mata and the dignity of the Tiranga (Indian flag). Their sacrifices continue to inspire generations, reminding us of the price of freedom and the responsibility we carry to uphold the values of truth, justice, and unity.
Let us take a moment to reflect on Gandhi’s teachings and apply them in our lives to build a nation that stands for peace, equality, and righteousness.
Mahatma Gandhi’s Quotes on:
- Women Empowerment: “If you educate a man you educate an individual, but if you educate a woman you educate an entire family.”
- A Casteless Society: “I do not believe in caste in the modern sense. It is an excrescence and a hindrance to the growth of the soul.”
- Against Drug Addiction & Alcohol: “Alcohol makes a man forget himself. A man under its influence becomes a beast.”
शहीद दिवस: महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि
महात्मा गांधी की हत्या 30 जनवरी 1948 को हुई थी। इस दिन को अब ‘शहीद दिवस’ या ‘सर्वोदय दिवस’ के रूप में मनाया जाता है, ताकि उन्हें और उन सभी वीरों को श्रद्धांजलि दी जा सके, जिन्होंने भारत की स्वतंत्रता के लिए अपने प्राणों की आहुति दी।
आज शहीद दिवस का वह महत्वपूर्ण दिन है, जब हम सभी स्कूलों में दो मिनट का मौन रखकर इस महान आत्मा को श्रद्धांजलि अर्पित किया करते थे।
महात्मा गांधी के सत्य, अहिंसा और असहयोग आंदोलन जैसे नवाचारपूर्ण साधनों ने ब्रिटिश साम्राज्य को हिला दिया और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में हमेशा याद किए जाएंगे। उनका जातिविहीन समाज के प्रति सम्मान, दलितों के उत्थान की भावना, महिलाओं के अधिकारों के प्रति सम्मान और सभी धर्मों के प्रति उनकी समान दृष्टि—विश्व शांति और सार्वभौमिक भाईचारे की भावना को साकार करने का एक महान प्रयास था।
इसी तरह, उनका ‘नशा मुक्त गुजरात’ का संदेश न केवल गुजरात बल्कि पूरे भारत और दुनिया के अन्य हिस्सों में नशे और शराब के खिलाफ लड़ाई में हमेशा याद किया जाएगा। उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम का नेतृत्व एक संत की तरह किया और पूरे देश में पदयात्रा कर लोगों को जागरूक किया तथा उन्हें ब्रिटिश सत्ता के खिलाफ संगठित किया।
महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन ने भी इस महान आत्मा का सम्मान करते हुए कहा था—
“आने वाली पीढ़ियां शायद ही विश्वास कर पाएंगी कि हाड़-मांस का ऐसा कोई व्यक्ति इस धरती पर चला होगा, जिसने गुलामी के खिलाफ संघर्ष किया और अपने देश को बंधनों से मुक्त करवाया।”
इसी तरह, सभी पूज्य महापुरुषों को उनकी दूरदर्शी सोच और देश के लिए किए गए बलिदानों के लिए हमेशा याद किया जाता है। वास्तव में, शहीद दिवस उन सभी स्वतंत्रता सेनानियों को नमन करने का दिन है, जिन्होंने भारत माता और तिरंगे के सम्मान के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए।
महात्मा गांधी के प्रेरणादायक विचार
महात्मा गांधी केवल एक स्वतंत्रता सेनानी ही नहीं, बल्कि एक महान विचारक और समाज सुधारक भी थे। उनके विचार आज भी प्रासंगिक हैं और समाज को सही दिशा में ले जाने के लिए मार्गदर्शन प्रदान करते हैं। विशेष रूप से, उन्होंने महिलाओं के सशक्तिकरण, जातिविहीन समाज की स्थापना और नशा व शराब के उन्मूलन पर महत्वपूर्ण विचार रखे, जो आज भी प्रेरणादायक हैं।
1. महिलाओं के सशक्तिकरण पर गांधी जी के विचार
महात्मा गांधी महिलाओं को समाज की रीढ़ मानते थे और वे महिलाओं के उत्थान के प्रबल समर्थक थे। उनका मानना था कि जब तक महिलाएं सशक्त नहीं होंगी, तब तक समाज और राष्ट्र की प्रगति संभव नहीं है। गांधी जी ने कहा था:
“यदि आप एक पुरुष को शिक्षित करते हैं, तो केवल एक व्यक्ति शिक्षित होता है, लेकिन यदि आप एक महिला को शिक्षित करते हैं, तो एक संपूर्ण परिवार शिक्षित होता है।”
महिलाओं के उत्थान के लिए उनके प्रयास:
- स्वतंत्रता संग्राम में महिलाओं की भागीदारी – गांधी जी ने महिलाओं को स्वतंत्रता संग्राम में बढ़-चढ़कर भाग लेने के लिए प्रेरित किया। डांडी मार्च, असहयोग आंदोलन और भारत छोड़ो आंदोलन में हजारों महिलाओं ने भाग लिया।
- बाल विवाह और दहेज प्रथा का विरोध – गांधी जी बाल विवाह को सामाजिक बुराई मानते थे और इसके उन्मूलन के लिए प्रयासरत थे। उन्होंने दहेज प्रथा का भी पुरजोर विरोध किया।
- स्वावलंबन पर जोर – गांधी जी का मानना था कि महिलाओं को आत्मनिर्भर बनना चाहिए। उन्होंने महिलाओं को खादी बुनने, चरखा चलाने और आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रेरित किया।
- समानता का समर्थन – उन्होंने महिलाओं को पुरुषों के समान अधिकार देने की बात कही और इस विचार को व्यापक रूप से प्रचारित किया।
गांधी जी का मानना था कि समाज में महिलाओं को केवल माता, बहन या पत्नी के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए, बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर, शिक्षित और स्वतंत्र रूप से निर्णय लेने योग्य बनाया जाना चाहिए।
2. जातिविहीन समाज पर गांधी जी के विचार
महात्मा गांधी भारतीय समाज में फैली छुआछूत और जातिवाद को सबसे बड़ी सामाजिक बुराइयों में से एक मानते थे। उन्होंने कहा था:
“मैं ऐसे भारत के लिए काम करूंगा जहां सबसे कमजोर वर्ग भी बिना किसी भय के, समान अधिकारों के साथ जीवन व्यतीत कर सके।”
जातिवाद के खिलाफ उनके प्रमुख विचार और प्रयास:
- अस्पृश्यता का विरोध – गांधी जी ने अछूत प्रथा को सामाजिक अन्याय और अमानवीय प्रथा कहा। उन्होंने ‘हरिजन’ (ईश्वर के लोग) शब्द का उपयोग करते हुए समाज के दलित वर्ग को सम्मान देने का प्रयास किया।
- हरिजन आंदोलन – गांधी जी ने दलितों को मंदिरों में प्रवेश दिलाने, उन्हें शिक्षा प्राप्त करने और समाज में समानता दिलाने के लिए ‘हरिजन आंदोलन’ चलाया।
- सभी धर्मों और जातियों के लिए समानता – उनका मानना था कि कोई भी जाति या धर्म दूसरे से ऊंचा या नीचा नहीं है। उन्होंने हिंदू-मुस्लिम एकता और सभी जातियों के बीच सौहार्द बनाए रखने पर विशेष जोर दिया।
- सामाजिक समरसता का संदेश – गांधी जी ने कहा कि समाज में जाति के आधार पर भेदभाव करना गलत है और सभी मनुष्यों को समानता का अधिकार प्राप्त होना चाहिए।
उनका सपना एक ऐसा भारत था, जहां हर व्यक्ति को जाति, धर्म या लिंग के आधार पर भेदभाव का सामना न करना पड़े और सभी को समान अवसर मिले।
3. नशा और शराब के विरुद्ध गांधी जी के विचार
महात्मा गांधी शराब और नशे को सामाजिक बुराई मानते थे। उनका मानना था कि शराब और अन्य मादक पदार्थ न केवल व्यक्ति को बर्बाद करते हैं, बल्कि समाज और परिवार को भी नुकसान पहुंचाते हैं। उन्होंने कहा था:
“यदि मुझे एक वरदान माँगने का अवसर दिया जाए, तो मैं शराब की दुकानों को हमेशा के लिए बंद करने का वरदान माँगूंगा।”
नशे के खिलाफ उनके प्रमुख विचार और अभियान:
- शराबबंदी के समर्थक – गांधी जी ने स्वतंत्र भारत में शराबबंदी लागू करने की वकालत की। उन्होंने कहा कि शराब और अन्य मादक पदार्थ मनुष्य की नैतिकता, परिवार और समाज को नष्ट कर देते हैं।
- व्यक्तिगत आत्मसंयम – उनका मानना था कि अगर व्यक्ति आत्मसंयम अपनाए तो नशे जैसी बुरी आदतों से बच सकता है। उन्होंने युवाओं से अपील की कि वे अपनी ऊर्जा सकारात्मक कार्यों में लगाएं।
- गुजरात में नशा-मुक्ति अभियान – गांधी जी ने गुजरात को नशा-मुक्त बनाने के लिए विशेष प्रयास किए। आज भी गुजरात भारत का एकमात्र राज्य है जहां पूर्ण शराबबंदी लागू है।
- गरीबी उन्मूलन से जुड़ा दृष्टिकोण – गांधी जी मानते थे कि शराबबंदी से गरीबों की स्थिति सुधरेगी, क्योंकि शराब पर पैसा खर्च करने से परिवारों की आर्थिक स्थिति खराब होती है।
गांधी जी ने नशा और शराब को समाज के लिए हानिकारक मानते हुए इसे दूर करने के लिए कई आंदोलन चलाए और अपने अनुयायियों को भी इससे बचने की सलाह दी।
महात्मा गांधी के बच्चों की शिक्षा, विकास और संरक्षण पर विचार
महात्मा गांधी का मानना था कि बच्चों का सही मार्गदर्शन, शिक्षा और सुरक्षा समाज के लिए सबसे महत्वपूर्ण कार्यों में से एक है। वे बच्चों को देश का भविष्य मानते थे और उनका विचार था कि सही शिक्षा और विकास से ही एक आदर्श समाज की नींव रखी जा सकती है। उन्होंने नैतिक मूल्यों, आत्मनिर्भरता और व्यावहारिक शिक्षा पर विशेष जोर दिया।
1. बच्चों की शिक्षा पर गांधी जी के विचार
गांधी जी शिक्षा को केवल किताबी ज्ञान तक सीमित नहीं मानते थे। उनका कहना था कि शिक्षा का मुख्य उद्देश्य व्यक्ति का सम्पूर्ण विकास करना है—शारीरिक, मानसिक और नैतिक रूप से। उन्होंने कहा था:
“बिना नैतिकता के शिक्षा, समाज के लिए विनाशकारी हो सकती है।”
गांधी जी के शिक्षा संबंधी प्रमुख विचार:
- नई तालीम (Basic Education) – गांधी जी ने ‘नई तालीम’ (बेसिक एजुकेशन) नामक शिक्षा प्रणाली का प्रस्ताव रखा, जिसमें पाठ्यक्रम को जीवन से जोड़ने पर जोर दिया गया था।
- कौशल आधारित शिक्षा – वे मानते थे कि बच्चों को पढ़ाई के साथ-साथ कोई हुनर भी सीखना चाहिए, जिससे वे आत्मनिर्भर बन सकें।
- मातृभाषा में शिक्षा – उनका मानना था कि प्रारंभिक शिक्षा मातृभाषा में होनी चाहिए ताकि बच्चे आसानी से समझ सकें और सीखने में रुचि लें।
- चरित्र निर्माण पर बल – गांधी जी शिक्षा को केवल परीक्षा पास करने का माध्यम नहीं मानते थे। वे कहते थे कि शिक्षा का उद्देश्य अच्छे संस्कार और चरित्र निर्माण करना होना चाहिए।
गांधी जी चाहते थे कि शिक्षा केवल किताबी ज्ञान न हो, बल्कि व्यवहारिक हो और बच्चों को समाज के लिए उपयोगी बनाए।
2. बच्चों के विकास पर गांधी जी के विचार
गांधी जी बच्चों के संपूर्ण विकास के पक्षधर थे। वे मानते थे कि शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक विकास के बिना शिक्षा अधूरी रहती है। उनका मानना था कि बच्चों को शुरू से ही नैतिक मूल्यों और आत्मनिर्भरता की शिक्षा दी जानी चाहिए।
बच्चों के संपूर्ण विकास के लिए गांधी जी के सुझाव:
- खेल-कूद और योग का महत्व – गांधी जी मानते थे कि शारीरिक स्वास्थ्य अच्छे जीवन की कुंजी है। वे चाहते थे कि बच्चे नियमित रूप से व्यायाम, खेल और योग करें।
- सादा जीवन, उच्च विचार – वे बच्चों को सादगी से रहने और जरूरत से ज्यादा भौतिक सुख-सुविधाओं की चाहत न रखने की सीख देते थे।
- स्वावलंबन की शिक्षा – गांधी जी मानते थे कि बच्चों को अपने काम खुद करने की आदत डालनी चाहिए ताकि वे आत्मनिर्भर बन सकें।
- सहज ज्ञान और व्यवहारिक शिक्षा – उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि शिक्षा पुस्तकों तक सीमित न रहे, बल्कि बच्चों को खेती, कुटीर उद्योग, सिलाई-बुनाई आदि सिखाई जाए।
गांधी जी का मानना था कि बच्चों को केवल परीक्षा पास करने के लिए नहीं, बल्कि जीवन जीने की कला सिखाने के लिए शिक्षित किया जाना चाहिए।
3. बच्चों के संरक्षण पर गांधी जी के विचार
गांधी जी बच्चों को समाज की सबसे अनमोल संपत्ति मानते थे। वे मानते थे कि बच्चों की सुरक्षा करना हर माता-पिता, शिक्षक और समाज की जिम्मेदारी है। उनका कहना था कि बच्चों को हिंसा, शोषण और गलत आदतों से बचाना चाहिए।
बच्चों की सुरक्षा के लिए गांधी जी के विचार और प्रयास:
- बाल श्रम का विरोध – गांधी जी बाल श्रम के खिलाफ थे। वे मानते थे कि बच्चों को खेलने, सीखने और जीवन का आनंद लेने का अधिकार है।
- संस्कार और नैतिकता का महत्व – उन्होंने कहा कि बच्चों को शुरू से ही नैतिकता और सच्चाई की शिक्षा दी जानी चाहिए ताकि वे सही और गलत में अंतर कर सकें।
- हिंसा और दंड का विरोध – गांधी जी बच्चों की परवरिश में हिंसा और कठोर दंड के खिलाफ थे। वे मानते थे कि बच्चों को प्यार, करुणा और सही मार्गदर्शन से ही सुधारा जा सकता है।
- नशे और बुरी आदतों से बचाव – गांधी जी चाहते थे कि बच्चों को नशे और बुरी संगति से दूर रखा जाए। उन्होंने शराब और अन्य मादक पदार्थों से समाज को मुक्त करने का सपना देखा था ताकि बच्चे सुरक्षित और स्वस्थ वातावरण में बड़े हो सकें।
गांधी जी का मानना था कि यदि बच्चों की परवरिश सही तरीके से की जाए, तो वे अच्छे नागरिक बनेंगे और समाज को आगे बढ़ाने में योगदान देंगे।
निष्कर्ष
महात्मा गांधी के विचार केवल स्वतंत्रता संग्राम तक ही सीमित नहीं थे, बल्कि वे एक आदर्श समाज की परिकल्पना भी करते थे। महिलाओं के सशक्तिकरण, जातिविहीन समाज और नशा-मुक्त भारत का उनका सपना आज भी हमारे लिए प्रेरणा है। यदि हम उनके विचारों को आत्मसात करें और अपने जीवन में लागू करें, तो एक बेहतर समाज और एक सशक्त भारत का निर्माण किया जा सकता है।