Kundalini Awakening – Article in Hindi

Sahaja Yoga Hindi Article

कुंडलिनी शब्द संस्कृत के कुण्डल शब्द से उत्पन्न है,अर्थात कुंडल में है।

कुंडलिनी शक्ति रीड की हड्डी के नीचे त्रिकोण आकार अस्थि में साढ़े तीन कुंडलों में सुप्तावस्था में स्थित होती है।

संत ज्ञानेश्वर ने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक ज्ञानेश्वरी के छठे अध्याय में कुण्डलिनी का वर्णन किया।उन्होंने लिखा कुंडलिनी महानतम शक्तियों में से एक है। उसके जागरण से साधक का संपूर्ण शरीर कांतिमय हो जाता है,और इसके कारण देह की अवांछित अशुद्धियां निकल जाती हैं।

साधक का शरीर अनुरूप लगने लगता है,और उसकी आंखों में चमक आ जाती है।

परम पूज्य श्री माताजी के अनुसार कुंडलिनी को दैवीय शक्ति भी कहा जाता है।यदि हम सहजयोग की बात करें तो इसकी खोज परम पूज्य श्री माताजी निर्मला देवी ने 5 मई 1970 को गुजरात के नारगोल नामक स्थान में की थी

यह योग परमात्मा की सर्वव्यापी से जोड़ने का अत्यंत सरल मार्ग है। दरअसल जब भी ईश्वरी शक्ति जागृत होती है, व्यक्ति का सृजनात्मक व्यक्तित्व व उत्तम स्वास्थ्य का विकास होने लगता है।


सहजयोग के अर्थ को यदि हम विस्तृत करें तो ‘सह’ का अर्थ है हमारे साथ ‘ज’ का अर्थ है जन्मा हुआ,और योग का अर्थ है संघ।

हमारे शरीर में सात चक्र एवं तीन नाड़ियाँ होती हैं। हमारे बायीं तरफ इड़ा नाड़ी या चंद्र नाड़ी है,जो हमारी इच्छा शक्ति को दर्शाती है।यह भूतकाल से संबंधित है।

हमारे दाहिनी और पिंगला नाड़ी या सूर्य नाड़ी है,जो कार्य शक्ति है।यह भविष्य काल से संबंधित है।
मध्य में सुषुम्ना नाड़ी होती है,जो हमें वर्तमान में रखती है।

सहज योग ध्यान द्वारा हम भूत भविष्य में ना जाकर वर्तमान में रहते हैं। हर समय प्रसन्न एवं संतुष्ट रहते हैं।हम परमात्मा को मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारे में ढूंढते रहते हैं। जबकि सारे ही देवी देवता हमारे शरीर में ही चक्रों के रूप में स्थित हैं।ये चक्र:

मूलाधार,
स्वाधिष्ठान,
नाभि,
भवसागर,
ह्रदय चक्र,
विशुद्धि,
आज्ञा
सहसत्रार चक्र।

आत्मसाक्षात्कार से पहले हमारी नाड़ियों एवं चक्रों में कोई ना कोई दोष होता है,किंतु आत्म साक्षात्कार के बाद यह सारे दोष दूर हो जाते हैं।

चक्रों में उपस्थित देवी देवता जागृत होने से हमारा परमात्मा से मिलन हो जाता है। हमारी सभी इच्छाएं पूरी हो जाती हैं।सहज योग में पंच तत्वों की सहायता से हम पूरे विश्व की सभी समस्याओं को दूर कर सकते हैं।

असल में विश्व में जो भी समस्या है, उसका कारण मानव शरीर में चक्रों नाड़ियों के दोष हैं।यदि यह सारे दोष दूर हो जाएं,तो मनुष्य परमात्मा के साम्राज्य में आ जाता है,और परम सुखी हो जाता है।

वर्तमान में जो महामारी की समस्या चल रही है।वह भी हमारे चक्र और नाड़ियों के दोष के कारण है।इस समय हम घर से बाहर नहीं जा सकते।लेकिन घर बैठकर ऑनलाइन सहज योग ध्यान से हम अपने चक्र और नाड़ियों के दोष दूर करके इस महामारी से अपनी रक्षा कर सकते हैं,और पूरे विश्व को भी बचा सकते हैं।

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